मिलेनियल लोगों से GEN-Z जेनरेशन तक, नेपाल में ऐसे बदलता गया पहनावा

नेपाल भी एक ऐसा देश है, जो विविधताओं से भरा हुआ है. यहां पर अलग अलग जाति, समुदाय के लोग रहते हैं. इसके अलावा क्षेत्रों के हिसाब से भी संस्कृति, खानपान और पहनावे में अंतर देखने को मिलता है. समय के साथ नेपाल में कई तरह के बदलाव आए हैं, जैसे राजशाही से लोकतंत्र की शुरुआत होना. इसी के साथ रहन-सहन और पहनावे में भी बदलाव हुआ है. जहां महिला पुरुष पहले सुरुवाल, ढाका टोपी, गुन्यु-पाटुका जैसे परिधान पहनते थे तो वहीं आज के युवाओं के पहनावे में मॉर्डन टच या कहें कि वेस्टर्न स्टाइल देखने को मिलता है. इस आर्टिकल में देखेंगे कि मिलेनियल लोगों यानी 90 के दशक से लेकर से GEN-Z जेनरेशन तक नेपाल के पहनावे में किस तरह से बदलाव आया है.

नेपाल इतिहास काफी रिच रहा है. वहीं ये देश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और विविधताओं से भरे कल्चर की वजह से टूरिस्ट्स को आकर्षित करता है. समय के साथ बदलाव होते गए और धीरे-धीरे पारंपरिक पहनावे में भी बदलाव आया. इस स्टोरी में देखेंगे मिलेनियल से GEN-Z जेनरेशन तक नेपाल के पहनावे में कब और कितने चेंजेस हुए.

नेपाल का राष्ट्रीय पहनावा

पुरुषों के परिधान की बात करें तो नेपाल में ‘दौरा सुरुवाल’ को राष्ट्रीय परिधान मानते हैं. दौरा यानी ऊपरी कुर्ता और सुरुवाल शरीर के निचले हिस्से में पहना जाता है, जो पैंट्स जैसा होता है. इसके साथ ही कमर में एक कपड़ा बेल्ट की तरह बांधा जाता है, जिसे पटुका कहते हैं और सिर पर ट्रेडिशनल टोपी ‘ढाका’ पहनी जाती है. ज्यादातर बुजुर्ग और मिलेनियल इसे बहुत ही सम्मान के साथ पहनते हैं जो नेपाली संस्कृति को रिप्रजेंट करता है.

नेपाली महिलाओं का पारंपरिक पहनावा

नेपाली महिलाएं भी गुन्यु चोलो और पटुका पहनती हैं. जिसमें लंबा ब्लाउज, अराउंड या रैप लॉन्ग स्कर्ट होता है, जिसके साथ में पटुका होती है. ये परिधान यहां के पहाड़ी ग्रामीण इलाके की महिलाएं पहनती थीं और खास मौकों पर इसे शहरी जगहों पर भी पहना जाता है. वहीं तराई और शहरी इलाकों में ज्यादातर महिलाएं साड़ी वियर करती हैं. नेपाल में शेरपा और तामांग समुदाय ठंडे मौसम की वजह से ज्यादातर ऊनी पोशाक पहनते हैं.

पहनावे में होने वाले बदलाव

नेपाल एक ऐसा देश है जो भारत के अलावा तिब्बत और चीन के बीच बसा हुआ है, इसलिए यहां के पहनावे पर अलग-अलग संस्कृतियों के प्रभाव की वजह से मिश्रित स्टाइल देखने को मिलता है. जैसे तिब्बित की वजह से चप्पा ये एक ऊनी परिधान है जो लंबे गाउन की तरह होता है साथ ही इसमें टोपी होती है. शहरी क्षेत्रों में भारत की तरह लड़कियां सलवार-कुर्ती से लेकर लहंगा चुनरी जैसे अटायर पहनती हैं. वहीं पश्चिमी यानी वेस्टर्न फैशन के प्रभाव की बात करें तो ये 20वीं सदी के बाद आया है. इस वजह से टी-शर्ट, ड्रेसेस, जींस जैसे कपड़े भी नेपाल के पहनावे में शामिल होते गए.

मॉर्डन इरा में हुए फैशन चेंजेस

नेपाल में पारंपरिक से लेकर फैशन ट्रेंड चेंज की बात करें तो आज के टाइम में शहरी क्षेत्रों के यंग स्टर्स, GEN-Z जनरेशन के लोग मॉर्डन स्टाइल के अटायर्स पहनते हैं. लड़के ज्यादातर फॉर्मल पैंट-शर्ट के अलावा जीन्स-टीशर्ट, न्यू स्टाइल जैकेट्स जैसे वेस्टर्न फैशन से इंस्पायर कपड़े पहनते हैं. हालांकि आज भी अगर आप ग्रामीण क्षेत्रों में देखेंगे तो आपको मिलेनियल और बुजुर्ग पारंपरिक पहनावे में दिख जाएंगे. खासतौर पर आपको ढाका टोपी पहने लोग दिखेंगे.

महिलाओं के कपड़ों में बदलाव

मॉर्डन स्टाइल की बात करें तो ग्रामीण इलाकों में साड़ी के साथ सलवार-कुर्ता ज्यादा पहना जाता है तो वहीं शहरी जगहों पर लड़कियां जींस-टॉप और वेस्टर्न कल्चर से इंस्पायर ड्रेसेस पहनती हैं.

ट्रेंड में फ्यूजन फैशन भी है

नेपाल में आपको पारंपरिक पहनावे में मॉर्डन स्टाइल का मेल भी देखने को मिलता है यानी फ्यूजन फैशन भी ट्रेंड में रहता है. इसमें आपको ढाका फैब्रिक के जैकेट्स, स्कार्फ आदि को लोग मॉर्डन ड्रेस के साथ स्टाइल करते हैं.

त्योहारों पर पारंपरिक पहनावा

नेपाल के पहनावे में भले ही वेस्टर्न स्टाइल के कपड़े काफी घुल-मिल गए हैं और लोगों के लिए आरामदायक पसंदीदा परिधान बन चुके हैं, लेकिन फैशन के साथ ही युवा यहां की संस्कृति को भी बखूबी फॉलो करते हैं. त्योहारों और खास के अलावा सांस्कृतिक उत्सवों पर आज भी लोग आपको नेपाल की पारंपरिक पोशाकों में ही नजर आएंगे. वहीं शादियों में तो खासतौर पर दौरा सुरुवाल, ढाका टोपी, ट्रेडिशनल साड़ी, जैसे अटायर्स ही पहने जाते हैं.

नेपाल में फैशन का न्यू इरा

यहां का ढाका फैब्रिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने लगा है तो वहीं फैशन डिजाइनर नए-नए एक्सपेरिमेंट्स कर रहे हैं और पारंपरिक कपड़ों को मॉर्डन टच दिया जाने लगा है. जिसकी वजह से ट्रेडिशनल अटायर्स और भी ट्रेंड में आ रहे हैं जैसे हाथों से बने शॉल, जैकेट.

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